इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना का विवरण,राजस्थान नहर या इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना पर एक संक्षिप्त


इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना (Indira Gandhi Canal Pration हटिरा गाँधी नहर परियोजना - (राजस्थान नहर) विश्व की सबसे बड़ी नहर प्रणाली है सदियों से वीरान पड़े रेगिस्तान के एक बहुत बड़े भू-भाग को हरे-भरे लहलहाते खेतों परिवर्तित करने का सपना संजोया है । बूंद-बूंद के लिए तरसती प्यासी रेगिस्तान की भमिकी नहर के जल से सिंचित करने का यह अति साहसिक मानव प्रयास है । इन्दिरा गाँधी नया परियोजना जिस भू-भाग पर बनी है वह भू-भाग वास्तव में उपजाऊ भूमि है,लेकिन यह जल के अभाव में बेकार पड़ा है। एक समय था जब इस क्षेत्र में सरस्वती नदी बहा करती थी और यह क्षेत्र सभ्यता व संस्कृति की दृष्टि से काफी उन्नत था। ऐसा माना जाता है कि सरस्वती नदी के इन्हीं किनारों पर वेदों की रचना की गई। इस क्षेत्र में विकास के लिए सन् 1951 में केन्द्रीय जल तथा विद्युत आयोग द्वारा प्रथम सर्वेक्षण किया गया। सन् 1954 और 1956 में स्वयं राजस्थान सरकार ने इस क्षेत्र का सर्वेक्षण किया। इन सर्वेक्षणों के आधार पर सन् 1957 में प्रारम्भिक प्रतिवेदन तैयार किया गया और 31 मार्च,1958 को इस परियोजना पर औपचारिक रूप से कार्य आरम्भ हुआ। 31 मार्च, 1958 को भारत सरकार के तत्कालीन गृहमन्त्री गोविन्दवल्लभ पन्त ने इस परियोजना का शिलान्यास किया।





इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना का विवरण




सर्वप्रथम सन् 1920 में गंगनहर के निर्माण द्वारा हिमालय के पानी को थार के रेगिस्तान में लाने का प्रयास बीकानेर के महाराजा गंगासिंह ने किया। इसके बाद सन् 1958इन्दिरा गांधी नहर परियोजना के जनक कंवर सेन ने अपने पत्र बीकानेर राज्य के लिए जल आवश्यकता' में इस बात पर बल दिया कि इस क्षेत्र में पानी का अभाव दूर होने पर अच्छा फसल उगाई जा सकती है।





भारत एवं पाकिस्तान के विभाजन के समय जब दोनों देशों की नदियों के पाना का बॉटने का प्रस्ताव आया, उस समय भारत में भाखडा-नांगल परियोजना पर कार्य चल जो सतलज नदी पर बनाया जा रहा था। यह परियोजना पंजाब व राजस्थान क्षेत्रोम लिए बनाई गई थी। इसके बाद 1955 में अन्तर्राज्यीय समझौतों के माध्यम से रावा के पानी में राजस्थान का हिस्सा तय किया गया और राजस्थान नहर परियोजना करना तय किया गया। उसी के पश्चात् राजस्थान नहर परियोजना को सुदृढ़ आधार.





(i) रेगिस्तान के बहुत बड़े भू-भाग में सिंचाई की सुविधा प्रदान करके कृषि विकास करना।





(ii) लोगों तथा मवेशियों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था करना । इसके अतिरिक्त कृषि एवं उद्योगों का विकास,वृक्षारोपण आदि उद्देश्य हैं।





(iii) इस परियोजना का एक उद्देश्य लिफ्ट सिंचाई द्वारा जल-विद्युत उत्पन्न कर स्थानीय आवश्यकताओं को पूरा करना है।





(iv) इस परियोजना के कमाण्ड क्षेत्र में जीवन की सभी मूलभूत आवश्यकताओं,जैसे सड़क,विद्युत, सिंचाई,संचार आदि की व्यवस्था करना है।





इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना की प्रमख बातें-इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना के प्रमुख निर्माण कार्यों को चार भागों में विभाजित किया जाता है





(i) राजस्थान फीडर का निर्माण (204 किलोमीटर) (ii) राजस्थान मुख्य नहर का निर्माण (445 किलोमीटर)





(ii) राजस्थान नहर की 9 शाखाओं, 21 उपशाखाओं तथा वितरक नहरों का निर्माण।





(iv) लिफ्ट नहरों के निर्माण की व्यवस्था ।





(i) राजस्थान फीडर (Rajasthan Feedar) - राजस्थान फीडर पक्की सीमेंटप्लास्टर युक्त एक नहर है,जो 169 किलोमीटर पंजाब एवं हरियाणा में पड़ती है तथा शेष 35 किलोमीटर राजस्थान सीमा में है। यह पंजाब में व्यास एवं सतलज नदियों के संगम स्थल पर बने हरिके बैराज से राजस्थान नहर को पानी देने के लिए बनाई गई है।





(ii) राजस्थान मुख्य नहर (Rajasthan Main Canal) - यह मुख्य नहर 445 किलोमीटर लम्बी है जो राजस्थान फीडर से जुड़ी हुई है। इसके तल में 36 मीटर तथा ऊपर 67 मीटर चौडी तथा 6.4 मीटर गहरी इस नहर में प्रति सैकिण्ड 523 क्यूबिक मीटर पानी प्रवाहित हो सकता है। प्रथम चरण में 189 किलोमीटर मुख्य नहर तथा 2,945 किलोमीटर वितरक नहरों का निर्माण हुआ, जबकि द्वितीय चरण में मार्च,2000 तक 256 किलोमीटर मुख्य नहर तथा 6,883 किलोमीटर लम्बी वितरण प्रणाली का निर्माण कार्य पूरा हो चुका था। अब तक नहर की निर्मित लम्बाई 445 किलोमीटर हो गई है।





(iii) राजस्थान नहर की शाखाओं एवं उप - शाखाओं का निर्माण-इस नहर परियोजना के अन्तर्गत 9 शाखाओं,21 उप-शाखाओं तथा कई वितरक नहरों का निर्माण कार्य शामिल है । यह परियोजना विश्व की नहर प्रणाली में एक सबसे बड़ी परियोजना है जिसकी कल लम्बाई 8,775 किलोमीटर तथा छोटी-बड़ी सभी नहरों, नालियों आदि को मिलाकर कल लम्बाई 64 हजार किलोमीटर होने की आशा है । दिसम्बर, 2007 के अन्त तक प्रस्तावित 9.413 किमी.लम्बाई के विरुद्ध 8,081 किमी. लम्बाई की शाखाओं व वितरिकाओं का निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया गया था।





लिपट नहरें ऊँचे एवं सुदूर भू-भागों में नहर का पानी पहुँचाने के लिए लिफ्ट व्यवस्था इस परियोजना का प्रमुख अंग है, जिसमें 7 लिफ्ट सिंचाई नहरों का निर्माण शामिल है। प्रथम चरण में बीकानेर, लूणकरणसर लिफ्ट व्यवस्था; तथा शेष पांच लिफ्ट व्यवस्थाएँ-नौहर-साहबा, बीकानेर-गजनेर-कोलायत लिफ्ट सिस्टम, फलौदी लिफ्ट सिस्टम पकिरण लिफ्ट सिस्टम,बांगड़सर लिफ्ट नहर द्वितीय चरण में हाथ में ली गई हैं।





(v) इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना का परिव्यय एवं सिंचाई क्षमता - इस परियोजना पर पाँचवीं योजना के अन्त तक लगभग 198 करोड़ रुपए व्यय किए गए और मार्च, 1990 तक 254.69 करोड़ रुपए व्यय हो चुके थे। द्वितीय चरण की 1985 के मूल्यों के आधार पर स्वीकृत लागत 931.24 करोड़ रु. आंकी गई है। इस पर मार्च,2004 तक कुल व्यय 2,600.89 करोड रु. हुआ जो प्रथम चरण में 393.17 करोड़ रु. व दूसरे चरण में 2,207.72 करोड़ रु. हुआ। आठवीं योजना में इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना के प्रथम एवं द्वितीय चरण पर 700 करोड़ रुपए उपलब्ध करवाए गए, जिनमें 284 करोड़ रुपए की राशि केन्द्रीय सहायता है । नवी योजना में 1,000 करोड़ रुपए की राशि का प्रावधान था। वर्ष 2007-08 में 191.07 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया (इसमें बारहवें वित्त आयोग के अन्तर्गत 94.14 करोड़ रुपये का अनुदान सम्मिलित है), दिसम्बर 2007 तक 105.96 करोड़ रुपये खर्च किये गए। इससे 50 हजार हैक्टेयर नए क्षेत्र में वितरण नहरें बनाकर 40 हजार हैक्टेयर में अतिरिक्त सिंचाई की क्षमता अर्जित करने का लक्ष्य है। वित्तीय साधनों के अभाव में इस परियोजना के निर्माण में काफी विलम्ब हुआ है। इस परियोजना से 2003-04 तक 12.13 लाख हैक्टेयर में सिंचाई की सुविधा प्राप्त हो गई है। अन्ततः इस योजना के पूरा होने पर राजस्थान के लगभग 15.17 लाख हैक्टेयर रेगिस्तानी क्षेत्र को सिंचाई की सुविधा मिल सकेगी।





(vi) निःशुल्क खाद्य - पदार्थों का वितरण-1968 से 'विश्व खाद्य कार्यक्रम संगठन' द्वारा परियोजना पर काम करने वाले श्रमिकों को आधे मूल्य पर खाद्य पदार्थ उपलब्ध करवाए गए। इस धन से बने कोष को श्रमिक-कल्याण कार्यों पर व्यय किया गया।





(vii) पीने का पानी - इस परियोजना के 11.5% पानी को पेयजल की पूर्ति में काम लिया जाएगा। इसके लिए लिफ्ट योजनाओं का सहारा लिया गया है । लगभग 3500 गाँवों को इससे पीने का पानी उपलब्ध कराया जा रहा है।





(viii) लघुजल - विद्युतगृह-इसमें आधुनिक तकनीक के प्रयोग द्वारा अनूपगढ व सूरतगढ़ में जल-विद्युतगृह बनाए गए हैं, जिनसे जल-विद्युत उत्पन्न की जाएगी। इनकी कुल क्षमता 13 मेगावाट होगी।





(ix) कमाण्ड एरिया विकास - कमाण्ड एरिया विकास कार्यक्रम के प्रथम चरण में 1983 तक 1.87 लाख हैक्टेयर भूमि पर पक्के जल-प्रवाह मार्ग बनाए गए। दिसम्बर, 2000 तक 2.60 लाख हैक्टेयर भूमि पर IMF की सहायता से पक्के जल-प्रवाह मार्ग बनाए गए। द्वितीय चरण में 1,02,315 हैक्टेयर भूमि में पक्के जल-प्रवाह मार्ग बनाए गए। कमाण्ड क्षत्र विकास कार्यक्रम में मिट्टी के कटाव को रोकना.वृक्षारोपण.सडक-निर्माण चारागाह-विकास, क्षारीय भूमि को सुधारना, आदि कार्य किए गए।





(x) आवास - परियोजना क्षेत्र में 1,12,437 लोगों को आवास के लिए 8.39 लाख हैक्टेयर भूमि आवंटित की गई है।





इन्दिरा गाँधी नहर के लाभ इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना के पूरा होने पर राजस्थान के रेगिस्तानी भू-भा सिंचाई से कृषि विकास का मार्ग प्रशस्त होगा और अन्तत: औद्योगीकरण तथा पा साधनों का विकास आदि से लोगों को आय एवं रोजगार में आर्थिक समृद्धि की आर होने में सहायता मिलेगी। इससे राज्य को प्राप्त होने वाले मुख्य लाभ निम्नलिखित





1. सिंचाई सुविधा - इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना से लगभग 19.63 लाए भूमि में सिंचाई की सुविधा प्राप्त होगी। अभी केवल 15.86 लाख हैक्टेयर की सुविधा मिलने लगी है.





2. कृषि-विकास - सिंचाई के कारण यह भूमि लहलहाते खेतों में बदल जाएगी जिससे कषि-उत्पादन पहले से अधिक हो सकेगा। इस प्रकार इस क्षेत्र में गेहूँ, जौ, चना, कपास और अनेक प्रकार की व्यापारिक और खाद्य फसलें उगाना सम्भव हो सकेगा। अत: इस योजना से हमें 1600 करोड़ रुपए वार्षिक मूल्य का अतिरिक्त कृषि उत्पादन प्राप्त हो सकेगा।





3. सूखा व अकाल का सामना - पानी के अभाव में राजस्थान का उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र सदैव ही अकाल व सूखे से ग्रसित रहा है । इस परियोजना के माध्यम से इस क्षेत्र में फसल व वनस्पतियों के माध्यम से जीवांश की मात्रा बढ़ने की सम्भावना है। ऐसा होने पर इस क्षेत्र के लोगों की काया पलट हो गई है।





4. रेगिस्तान के प्रसार पर रोक - इस परियोजना के अन्तर्गत वृक्षारोपण के माध्यम से मरुस्थल के प्रसार को रोका जा सकेगा, मिट्टी के टीलों को स्थिर बनाया जा सकेगा, यह धीरे-धीरे वृक्षारोपण से ही संभव है। इस बात को दृष्टिगत रखते हुए यहाँ एक वन सेना गठित की गई है,जो समर्पित होकर वृक्षारोपण का कार्य कर रही है।





5. जल की आपूर्ति - राजस्थान के रेगिस्तानी क्षेत्र में जल की सदैव कमी रहती है। इसका कारण जल स्तर का बहुत नीचा होना है। इस प्रकार एक ओर तो इस क्षेत्र में पीने का पानी उपलब्ध नहीं है, दूसरी ओर औद्योगिक कार्यों के लिए भी पेयजल उपलब्ध नहीं हो पाता है, इस कठिनाई को ध्यान में रखते हुए इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना के अन्तर्गत लगभग 1,200 क्यूबिक जल पेयजल और औद्योगिक कार्यों के लिए निर्धारित किया गया है।





6. औद्योगिक विकास की सम्भावनाएं - राजस्थान के शुष्क क्षेत्र में दो ही प्रकार के खनिज-कोयला व नमक-विद्यमान हैं । यहाँ खनिज तेल की खोज के प्रयास भी जारी है। इस क्षेत्र में खनिज तेल मिलने की संभावना बढ़ी है। इस क्षेत्र में खनिज तेल मिलने की सम्भावना बढ़ने से औद्योगिक विकास की सम्भावनाएँ भी बढ़ी हैं।





7. कस्बों व मण्डियों का विकास - पानी के अभाव में राजस्थान के उत्तरी व पश्चिमी रेगिस्तान में जनसंख्या का घनत्व बहुत कम है। इस कारण इस क्षेत्र में कस्बों व मण्डियों का विकास नहीं हो पाया है। मण्डियों का विकास न हो पाने के कारण कृषि व औद्योगिक विकास का अभाव रहा है। इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना के माध्यम से कृषि एवं औद्योगिक विकास को गति मिलेगी।





8. सरकार को आय - इस नहर परियोजना से सरकार की आय में वृद्धि होने की संभावना बढ़ी है । जहाँ सरकार एक ओर भूमि को बेचकर आय अर्जित कर रही है,वहाँ दूसरी ओर सिंचाई,कृषि-उपज आदि से वसूलियों द्वारा काफी आय अर्जित करेगी।





9. संचार साधनों का विकास - नहर परियोजना के साथ-साथ इस क्षेत्र में विशेषकर नहर के आस-पास के क्षेत्रों में टेलीफोन और सड़कों की सुविधा का विकास किया जा रहा है। यह किसी भी क्षेत्र के विकास की मूलभूत आवश्यकता है।





10. सीमा सुरक्षा - इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना क्षेत्र जैसे-जैसे विकसित होगा वैसे-वैसे लोग यहाँ बसने के लिए आकर्षित होंगे। इस क्षेत्र में अवकाश प्राप्त सैनिकों व अन्य समका व्यक्तियों को भूमि आवंटित की जा रही है, ताकि ये लोग पाकिस्तान की सीमा के निर्जन होने के कारण जो समस्याएँ आ रही है उनको सुलझा सकें।





11 मछली-पालन - इन्दिरा गांधी नहर परियोजना के कारण इस क्षेत्र में पानी की सुविधा प्राप्त होने से मछली-पालन के व्यवसाय को भी प्रोत्साहन मिला है.


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