Posts

Showing posts with the label geography syllabus 2020

विनिर्माण उद्योग का वर्गीकरण: कुटीर उद्योग, लघु उद्योग, बड़े पैमाने के उद्योग, कच्चे माल पर आधारित उद्योग, कृषि आधारित उद्योग, खनिज आधारित उद्योग, रसायन आधारित उद्योग आदि की संपूर्ण जानकारी

Image
विनिर्माण उद्योगों का वर्गाफरण उनके आकार, कच्चे माल, उत्पाद व स्वामित्व के आधार पर किया जाता है।  (1) आकार पर आधारित उद्योग : किसी उद्योग का आकार उसमें निवेशित पूँजी, कार्यरत श्रमिकों की संख्या एवं उत्पादन की मात्रा पर निर्भर करता है। आकार के आधार पर उद्योगों को तीन वरग्गो में बाटा जा सकता है - (अ) कुटीर उद्योग (ब) लघु उद्योग  (स) बड़े पैमाने के उद्योग (अ) कुटीर उद्योग : यह निर्माण की सबसे छोटी इकाई है। इसमें दस्तकार स्थानीय कच्चे माल का उपयोग करते है। वह कम पूँजी तथा दक्षता से साधारण औजारों के द्वारा परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर घरों में ही अपने दैनिक जीवन के उपयोग की वस्तुओं का उत्पादन करते है। निजी उपभोग के बाद शेष बचे तैयार माल को स्थानीय बाजार में विक्रय कर देते हैं। कुटीर उद्योगों के अन्तर्गत कुछ ऐसी वस्तुओं का निर्माण होता है जो आधुनिक तकनीक से उत्पादित वस्तुओं से भी प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम है। इस उद्योग में दैनिक जीवन में काम आने वाली वस्तुओं जैसे खाद्य पदार्थ, कपड़ा, फर्नीचर, बर्तन, औजार, जूते, मिट्टी के बर्तन, आभूषण, कागज, पत्तल, आदि बनाये जाते हैं । भारत क

विनिर्माण उद्योग: कच्चा माल, शक्ति के साधन, परिवहन व संचार के साधन, बाजार, कुशल श्रमिक, पूंजी, जलापूर्ति, जलवायु, उच्च तकनीक, सरकारी नीतियां अन्य कार्य से जुड़ी संपूर्ण जानकारी

Image
विनिर्माण उद्योग का अर्थ प्राथमिक त्पादन से प्राप्त कच्ची सामग्री को शारीरिक अथवा यांत्रिक शाक्ति द्वारा परिचालित आंजारों की सहायता से पूर्व निर्धारित एवं नियंत्रित प्रक्रिया द्वारा किसी इच्छित रूप, आकार या विशेष गुणधर्म वाली वस्तुओं में बदलना है । विनिर्माण उद्योग के नाम से अक्सर यह भ्रांति हो जत। है कि यह केवल वृहद स्तर का उद्योग है। परन्तु वास्तव में ऐसा नही है इस उद्योग को किसी भी स्तर पर आरम्म किया जा सकता है। इस अर्थ में अति साधारण वस्तुओं यथा मिट्टी से मिट्टी के बर्तन व खिलौनें बनाने से लेकर भारी से भारी निर्मित वस्तुए जैसे बड़ी मशीनें, जलयान, भारी रसायन बनाने सम्बन्धी आदि सभी उद्योग सम्मिलित हैं। निर्णाण उद्योग में प्रयों किये जाने वाले पदार्थ प्राकृति दशा में कच्चा माल कहलाते हैं जैसे धात अयरुक लकडी, कपास आदि। ये असंशोधित पदार्थ भी होते है जैसे -इस्पात, जिससे यंत्र व क-पुर्जे बनाये जात है। चिरी हुरी लकड़ी जिससे कागजी लुग्दी बनाई जाती है। कपास का धागा जिससे वर्त्र बुना जाता है। किसी भी देश में निर्माण उद्योग के विकास के साथ ही उसकी राष्ट्रीय आय बढ़ती है। वह देश विकस