सवाई जयसिंह द्वितीय की उपलब्धियों की विस्तृत रूपरेखा,राजस्थान की राजनीति में सवाई जयसिंह की देन का मूल्यांकन
औरंगजेब की मृत्यु के पश्चात् मराठों ने मुगल साम्राज्य की दुर्बलता का लाभ उठाते हुए समस्त भारत में अपना प्रभाव बढ़ाना शुरू कर दिया। उन्होंने दक्षिण में अपनी स्थिति सुदृढ़ कर ली और उत्तरी भारत पर भी अपना प्रभुत्व स्थापित करने का निश्चय कर लिया। पेशवा बाजीराव ने मुगलों की दुर्बलता का लाभ उठाकर मालवा, गुजरात, बुन्देलखण्ड आदि राज्यों में मराठा शक्ति का प्रसार किया। आमेर नरेश सवाई जयसिंह मालवा और गुजरात के मराठों के बढ़ते हुए प्रभाव से बहुत चिन्तित था और उन्हें नर्मदा नदी के उस पार ही रखना चाहता था। परन्तु मराठे इन प्रदेशों पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिए कटिबद्ध थे। मराठों ने राजस्थान में भी घुसपैठ करना शुरू कर दिया जिससे राजपूत नरेश अत्यधिक चिन्तित थे। मराठों ने 1724 में रामपुरा तथा कोटा-बूंदी की सीमाओं पर लूटमार की। 1725 ई. में उन्होंने मेवाड़ की सीमाओं में प्रवेश किया और लूटमार की। 1726 के प्रारम्भ में उन्होंने मेवाड़ पर पुनः धावा बोला और पर्याप्त धनराशि लूटपाट में प्राप्त की। इससे मेवाड़ के महाराणा बड़े नाराज हुए और उन्होंने सवाई जयसिंह से मराठा उत्पात को रोकने के लिए अनुरोध किया। ...