राजस्थान में सूती वस्त्र उद्योग का विकास,राज्य में सूती वस्त्र उद्योग के प्रमुख कारखाने - Full Detail


राजस्थान में निर्माण उद्योगों में सूती वस्त्र उद्योग सबसे प्राचीन एवं संगठित उद्योग है। यह उद्योग राज्य में ग्रामीण व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध कराने वाला प्रमुख उद्योग है। इस उद्योग में संलग्न श्रमिकों की संख्या, उत्पादित पक्के माल का मूल्य और विदेशी व्यापार की दृष्टि से यह उद्योग राजस्थान के अन्य बड़े पैमाने के उद्योगों में महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है।





राजस्थान में सूती वस्त्र उद्योग का विकास




राजस्थान में सूती वस्त्र उद्योग का विकास - राज्य में सर्वप्रथम सूती वस्त्र कारखाना दी कृष्णा मिल्स लिमिटेड के नाम से सन 1889 में देशभक्त सेठ दामोदर दास व्यास ने ब्यावर (अजमेर) में स्थापित किया । ब्यावर में ही 1906 में एडवर्ड मिल्स लिमिटेड के नाम से दूसरी तथा 1955 में श्री महालक्ष्मी मिल्स लिमिटेड के नाम से तीसरी सूती वस्त्र मिल की स्थापना की गई। इसके पश्चात् सन् 1938 में भीलवाड़ा में मेवाड़ टेक्सटाइल्स मिल्स,1942 में पाली में महाराजा उम्मेदसिंह मिल्स,सन् 1946 में गंगानगर में सार्दुल टेक्सटाइल्स लिमिटेड,सन् 1956 में कोटा टेक्सटाइल्स, सन 1960 में भीलवाड़ा में स्पिनिंग एण्ड वीविंग मिल्स व 1968 में राजस्थान टेक्सटाइल्स मिल्स, भवानी मण्डी में सूती वस्त्र उद्योग की मिल स्थापित हुई। स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय राजस्थान में सूती कपड़े की 5 मिलें तथा 1956 में जब अजमेर को राजस्थान में मिलाया गया तो 11 सूती वस्त्र मिलें थीं। राज्य में सूती वस्त्र मिलों की संख्या 28 था,जिनमें से अब कुछ मिलें बन्द हो चुकी हैं।




राज्य में सूती वस्त्र उद्योग के प्रमुख कारखाने - राज्य में प्रमुख सूती वस्त्र लिए निम्न मिलें प्रमुख रही हैं (1) कृष्णा मिल्स, ब्यावर, (2) लक्ष्मी मिल्स, ब्यावर,(3) आदित्य मिल्स, किशनगढ़, (4) बांसवाड़ा सिन्थेटिक्स, बांसवाड़ा, (ना फेबिक्स बांसवाड़ा, (6) भीलवाड़ा सिन्थेटिक्स, भीलवाड़ा, (7) राजस्थान पोलि लिमिटेड, भिवाड़ी (अलवर),(8) गंगापुर कोऑपरेटिव स्पिनिंग मिल,गंगापुर,(9) आम पोलिटेक्स, आबू रोड़ (सिरोही),(10) एडवर्ड मिल्स ब्यावर,(11) मॉडर्न सिन्थेटिक्स (12) मेवाड़ टेक्सटाइल्स, भीलवाड़ा,(13) राजस्थान स्पिनिंग एण्ड वीविंग मिल्स खारी (भीलवाड़ा), (14) राजस्थान स्पिनिंग एण्ड वीविंग मिल्स, भीलवाड़ा, (15) भीलवा को-ऑपरेटिव स्पिनिंग मिल्स, गुलाबपुरा, (16) विजय कॉटन मिल्स, विजयनगा (17) सुदर्शन टेक्सटाइल्स,कोटा, (18) शार्दुल टेक्सटाइल्स,श्रीगंगानगर, (19) मार्डन थेडस रायला (भीलवाड़ा), (20) उदयपुर कॉटन मिल्स, उदयपुर, (21) डर्बी टेक्सटाइल्स,जोधपर (22) स्वदेशी कॉटन मिल्स, उदयपुर, (23) श्री गोयल इण्डस्ट्रीज, कोटा, (24) महाराजा उम्मेदसिंह लिमिटेड,पाली,(25) जयपुर स्पिनिंग एण्ड वीविंग लिमिटेड, जयपुर, (26) पोद्दार स्पिनिंग मिल्स, जयपुर, (27) गंगानगर को-ऑपरेटिव स्पिनिंग एण्ड वीविंग लिमिटेड,जयपर (28) राजस्थान टेक्सटाइल्स मिल्स, भवानी मण्डी।





इनमें से 14 निजी क्षेत्र में,7 संयुक्त क्षेत्र में,4 सहकारी क्षेत्र में और 3 राष्ट्रीय कपड़ा निगम के अधीन हैं । इनमें से 23 कताई मिलें व 5 कम्पोजिट मिलें हैं । एडवर्ड मिल्स व कृष्णा मिल्स के रुग्ण हो जाने से राष्ट्रीय वस्त्र निगम ने इन्हें अपने अधिकार में लिया है। अप्रेल,1993 में गंगापुर,हनुमानगढ़ व गुलाबपुरा की तीनों सहकारी कताई मिलों एवं गुलाबपुरा की जिनिंग मिल्स को मिलाकर राजस्थान राज्य सहकारी व जिनिंग मिल्स संघ लिमिटेड (स्पिन फेड) स्थापित किया गया है। इस प्रकार ये मिलें सार्वजनिक क्षेत्र में आ गई।





औद्योगिक विकास निगम की भूमिका - वर्तमान में अधिकांश नवीन सूती वस्त्र इकाइयाँ राजस्थान राज्य औद्योगिक विकास व विनियोग निगम लिमिटेड की सहायता से शुरू की गयी हैं। इन्हें भीलवाड़ा, जोधपुर, उदयपुर, सिरोही, सीकर, अलवर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा आदि पिछड़े क्षेत्रों में स्थापित किया गया है।





'कच्चे माल की अनुपलब्धता - राजस्थान में अधिकांश सूती वस्त्र के केन्द्र कुशलतापूर्वक नहीं चल पा रहे हैं तथा उद्योग कठिन अवधि से गुजर रहा है जिसके कारण फैक्ट्रियाँ देश की अन्य फैक्ट्रियों से प्रतिस्पर्धा कर पाने में अपने को असमर्थ महसूस करती हैं । सूती वस्त्र उद्योग के लिए कपास प्रमुख कच्चा माल है। कपास के मुख्य उत्पादक क्षेत्र हनुमानगढ़ और गंगानगर जिले हैं जो राज्य की कुल कपास उत्पादन का 75 प्रतिशत उत्पादन करते हैं। अन्य मुख्य जिले बीकानेर, उदयपुर, भीलवाड़ा, अलवर, कोटा और बांसवाड़ा है। बढ़िया कपास का आयात जहाँ विदेशों से करना पड़ता है वहीं राज्य उन्हें मोटा एवं मध्यम सूती कपड़ा भी निर्यात करता है।





उत्पादन - राजस्थान में सबसे बड़ी सूती वस्त्र मिल उम्मेद मिल्स.पाली है। आकार की दृष्टि से राजस्थान की सूती वस्त्र मिलें सामान्यतः छोटी है । सन् 1951 में 5 कपड़ा मिलें थीं जो लगभग 30 लाख मीटर कपड़े का उत्पादन करता थीं। वर्तमान में 28 कपड़ा मिलें हैं जो 48207 लाख मीटर कपड़ा तथा 75 हजार मीट्रिक टन धागे का वार्षिक उत्पादन करती हैं।





प्रमुख समस्याएँ - राजस्थान में सूती वस्त्र उद्योग एक मुख्य उद्योग है। सूती वस्त्र उद्योग की प्रमुख समस्याएँ निम्नलिखित हैं





(i) कच्चे माल की आपूर्ति, (ii) शक्ति के साधनों की आवश्यकता, (iii) अनार्थिक इकाइयाँ, (iv) उत्पादन शक्ति कम, (v) अप्रशिक्षित श्रमिक, (vi) इस उद्योग के लिए आर्द्र जलवायु चाहिए जबकि राज्य की जलवायु शुष्क है,





(vii) अन्य समस्याओं में पूँजी, रासायनिक पदार्थों व अनुसन्धान सविधाओं की कमी आदि है।


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